भू-अभिलेख नक्शा। बड़े काम का दस्तावेज।
नमस्कार मित्रों..आज की यह पोस्ट भू अभिलेख विभाग के महत्वपूर्ण रिकॉर्ड भू नक्शा की बारीकियों और उपयोगिता से संबंधित है, तो चलिए शुरू करते हैं...
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भू नक्शा भू-अभिलेख दस्तावेज है जो कि राजस्व विभाग के कर्मचारियों पटवारिओ द्वारा क्षेत्र समस्याओं में उपयोग किया जाता है।
जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि भूमि का नक्शा अर्थात किसी एक राजस्व ग्राम की कुल भूमि के खेतों या भू-खंडों का एक निश्चित मापमान पर आधारित मानचित्र जिसमे प्रत्येक भू खंड या खेत की स्थिति के साथ ही उसका आकार,प्रकार एवम खसरा नंबर दर्शित रहता है।
भू खंड की स्थिति से आशय है कि कहां पर अमुक खेत स्थित है उसकी लोकेशन क्या है।
भू खंड का आकार अर्थात उसकी तीनो या चारों ओर की सीमाओं की स्थिति कैसी बनी हुई है।
भू खंड का प्रकार अर्थात उसकी नवैयत जैसे जंगल भूमि,रास्ता,कुआ देवस्थान या अन्य प्रयोजन से संबंधित है जिसको दर्शाने के लिए मानचित्र के निश्चित अलामातों/चिन्ह का उपयोग किया जाता है।
भू खंड का खसरा क्र. अर्थात उसका नंबर जिसकी सम्पूर्ण प्रविष्ट खसरा जिल्द में संबंधित नंबर में दर्ज रहती है जिसे देखकर उस भू खण्ड के मालिक आदि की जानकारी मिल जाती है।
प्रत्येक भू खंड का रकवा भी निश्चित मापमान पर रहता है।अधिकतर यह 1:4000 के मापमान/स्केल पर आरे की इकाई में होता है जिसे कंघी परकार की मदद से उस भू खंड के नक्शे में रकवाबरारी द्वारा निकाला जाता है।
भू नक्शा की उपयोगिता -
वास्तव में खसरा एवं नक्सा दोनों अभिलेख 1 दूसरे के पूरक अभिलेख है।किंतु खसरे से ज्यादा महत्वपूर्ण दस्तावेज नक्शा ही है क्योंकि फील्ड में किसी भी प्रकार के काम की शुद्धता बिना नक्शा के संभव नही है ।
राजस्व कर्मचारियों द्वारा उक्त नक्शे का उपयोग किसानों के जमीन के आपसी विवाद सुलझाने,सीमांकन करने,किसी प्रकरण में वस्तु स्थिति का पता लगाकर प्रतिवेदन देने में,फसलों की गिरदावरी करने में,मौका का मिलान करने आदि महत्वपूर्ण कार्यों में खसरे के साथ किया जाता है।
वही किसानों द्वारा किसी योजना का लाभ लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज में से एक उसकी जमीन के खसरा नम्बरो की नक्सा प्रतिलिपि असल मे उसके गांव के नक्से में उसके द्वारा धारित भू खंडों की नकल ही होती है।
बड़े स्तर पर भी किसी अधिग्रहण में यही दस्तावेज महत्वपूर्ण होता है जिससे किस किसान की कितनी जमीन सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई है उसकी जानकारी मिलती है।
जमीन के मौके पर यदि किसी प्रकार का बदलाव कर भी दिया जाता है तो पूर्व से लेकर वर्तमान तक उस जमीन में हुई सारी तब्दीलियों की पकड़ इसी नक्से से ही लगाई जा सकती है।
वास्तव में नक्से की उपयोगिता व्यवहारिक एवम असीमित है।इसीलिए इसे राजस्व का समस्यानिवारक दस्तावेज कहना कोई अतिश्योक्ति न होगा।साथ ही जहाँ जहाँ यह नक्शा विसंगतियों से भरा है वहा वहां सबसे ज्यादा विवाद देखे जाते है और ऐसे में किसान से लेकर सरकार सब अपने अपने ढपली अपना अपना राग अलापते हैं और अपने 2 फायदे में लगे रहते हैं।
विसंगतियों को दूर करना राजस्व के उस सबसे निर्बल सुपरमैन कर्मचारी को उच्च अधिकारियों द्वारा सौपना समस्या को पालने से बढ़कर और कुछ नही है।
ऐसी स्थिति में एक्सपर्ट टीम द्वारा उसके अनुभव उचित मार्गदर्शन और समाधानोमुखी दृण इक्षा शक्ति से विसंगतियों को दूर किया जाना कमोवेश आज के वातावरण में आवश्यक हो चला है।
आगे का लेख में नक्शे की विसंगतिया नक्से से अपनी जमीन का पता किसान अपने स्तर पर कैसे लगाए और बाकी की पूरी abcd जानेंगे।
तब तक के लिए #stay read stay updated
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